Monday 16 September 2024

हिंदी दिवस पर कुछ विचार

भव्य नमस्कार!

१२.४५          - हिंदी दिवस समाचरण 

कार्मेल ब्लॉक - ३०१ 

सभी वर्ग प्रतिनिधियों को इसमें भाग लेने दीजिये| 

इसके अतिरिक्त यदि २ या ३ विद्यार्थी कवी सम्मलेन में भाग लेना चाहते हैं तो उन्हें भी अनुमति दीजिये| उनका नाम फैकल्टी ग्रुप में डाल दीजिये और कार्यक्रम के पश्चात आकर रिपोर्ट करने के लिए कहिये| 

जिन्हें रेगुलर क्लास नहीं हैं वे इस समारोह में भाग लेने केलिये अवश्य आईये| 

प्राचार्य 

हिंदी दिवस पर कुछ विचार 

सीतापुर सेक्रेड हार्ट में, अधिकतर किसी भी गोष्ठी में मैं अकेला अहिन्दी भाषी हूँ| उन सबके लिए तो हिन्दी मातृभाषा है, तो मेरे लिए यह राष्ट्र भाषा है, जिसे मैं ने सीखा है| अगर मेरा बस चलता तो मैं  हिन्दी  में स्नातकोत्तर डिग्री और खोज की डिग्री दोनों ही हिन्दी से ही हासिल करता| एक समय ऐसा था जब मैं BHU में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता था - जो डा. हजारी प्रसाद जैसे मनीषियों के सान्निदध्य से अनुग्रहीत है| 

खैर, छोड़ो इन सब निजो बातों को - आज हिंदी दिवस पर - मेरा ध्यान अब की  नयी शिक्षा नीति (NEP 2020) पर रखना चाहता हूँ | 

इसके अनुसार, अब तक का अनुभव यह रहा कि भाषा अध्ययन की प्रधानता लगभग पूर्णतया उच्च शिक्षा प्रणाली से निकाल दी गयी है | वैसे तो, शायद अधिकांश स्नातक  विद्यार्थियों   केलिए यह कम भारी, और इसलिए अच्छा लगे, लेकिन मेरा मानना है की यह उनके सर्वांगीण विकास के हित में नहीं है| काम से काम ऐसा कोई प्रावधान होना चाहिए जिससे स्नातक उपाधि अर्जित करने के लिए न्यूनतम तर पर किसी न किसी - देशी  या  विदेशी - भाषा का अध्ययन सम्मिलित हो  

दूसरी बात यह है कि NEP 2020 निजी या प्रादेशिक भाषा में प्राथमिकशिक्षा दी जाने पर जोर लगाती है|  यह दावा किया जाता है कि शिक्षा निजी भाषा में दिए जाने से, बच्चों का ध्यान आसानी से रहता  है,  ड्राप आउट प्रतिशत काम हो जाता है, और सृजनात्मकता (creativity) को बढ़ावा मिलता है| यह सब बातें अच्छी लगती तो है, लेकिन संदेहास्पद लग रहें|  यदि नोबेल पुरस्कार जीतना सृजनात्मकता तथा नवाचार का सूचक मन गया तो, उसे और निजी भाषा शिक्षा से कोआर्डिनेट करके देखें|  विज्ञानं के क्षेत्र में नोबेल विजेता विभिन्न राष्ट्रों में लगभग, निम्न सूची प्रकार है: 

Belgium                    - 29

Brazil                        - 13

China                       - 11

France                     - 71

Germany                - 111

India                       - 05

Italy                        - 21

Japan                      - 26

Korea                     - 1

Phillipines              - 1    

UK                        - 132

USA                     - 404

इनमें से USA, UK, Japan, France, Germany, Italy, China, Brazil, Korea  आदि राष्ट्र में निजी भाषा ममें ही शिक्षा होती हैं, लेकिन, उच्च श्रेणी की खोज और नवाचार में ये सभी सामान रूप से अग्रसर नहीं है - जिन ५ भारतीयों को  (अमर्त्य सेन को मिलाकर ६) विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला है, वे सब अंग्रेजी माध्यम से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले थे|  मौलिकता अवं नवाचार तभी होता है, जब शिक्षा प्रणाली इन बातों को लक्ष्य और आधार बनाकर चलती हो, और इनका प्रोत्साहन देने वाली हो|  जिस इनोवेशन इकोसिस्टम की बात कही जाती है, वह शिक्षा प्रणाली से जुडा  हुआ  होना चाहिए|  इसकेलिए समस्याधिष्ठित (समस्या निरूपण एवं समाधान) पर आधारित, प्रयोगअधिष्ठित (एप्लीकेशन based) शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है |  निर्भाग्य वशात, इतपर्यंत हमारी शिक्षा और शिक्षक उस तरफ मुड़े नहीं है| 

इन बातों के बारे में बहुत चर्चा हो रही है - पर अक्सर इन्हें प्रयोग में लाने में जो प्रयत्न, मार्गदर्शन, प्रोत्साहन और अनुवर्ती होने हैं - वह बिलकुल भी नहीं हैं, हों तो, केवल विश्वविद्यालय और गिने चुने उच्च शिक्षा संस्थानों तक ही सीमित हो जाती हैं| 

हमारी भाषाओं की सीमितता यह है कि इसमें मौलिक बातें न हो पाती - इनमें जो भी नए पद आएं हैं, लगभग वे सभी, अन्य, खास तौर से अंग्रेजी, फ़्राँसी, जर्मन, इतालियन आदि भाषाओं से अनुवाद किये गए हैं - इनसे भाषा तो बढ़ती ज़रूर है, लेकिन मौलिक सोच, खोज, अनुसंधान परिणाम और आविष्कार बहुत ही विरल हैं|  अतएव मौलिक अवधारणाओं और ततउत्पन्न पदों से ही भाषा निजी बल पर बढ़ेगी - इसकेलिए न केवल भाषा का प्रोत्साहन चाहिए, बल्कि इससे अधिक, समस्याधिष्टित शिक्षा प्रणाली और प्राथमिक ताल से अनुसंधान एवं नवाचार का प्रोत्साहन होना अत्यावश्यक है| 

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।

अतएव, यद्यपि में भारतेन्दु हरिश्चंद्र जी से प्रभावित और प्रोत्साहित हूँ, आपके इस प्रसिद्ध कथन से मैं सहमत नहीं हूँ| फिर भी, मैं  उन्हीं के साथ निज भाषा पर (जो कि मलयालम है) और भारत सर्कार की औद्योगिक भाषा हिंदी पर गर्व करूंगा - केवल २०० साल  के अंतर्गत भाषा के सभी अंगों  या शैलियों (genre) में अत्यधिक अभिवृद्धि हासिल की है | इनका अधिक से अधिक प्रोत्साहन भी दूंगा| 

महा विद्यालय के कवी श्री विश्वदीप का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ - उन्होंने अपने वरिष्ठ अद्ध्याप साथी मुझ पर एक कविता रचकर मुझसे या किसी भी प्राचार्य से जो उम्मीद अध्यापक और विद्यार्थी रखते हैं उनका विवरण दिया है - में आभारी हूँ|  सांस्कृतिक समिति के संचालक डा. योगेश ने भी कविताएं और शेर सुनाकर अपने में छुपा हुआ कवी का निदर्शन दिया|  हमारे पूर्व विद्यार्थी और बीते वर्ष का छात्र समिति अध्यक्ष श्री प्रखर इधर आकर इस कवी सम्मलेन को निस्संदेह जान और जोश दिए| और हमारे युव कविगण - पूरे एक दर्जन - अपनी सृष्टियाँ प्रस्तुत करके महाविद्यालय को अलंकृत किया है |  सबको बधाईयां, ख़ास तौर  से इनमें से पुरस्कार पाने वाले उन तीन युव महिलाओं का भी मेरा ससंतोष अभिनन्दन| 

हम सब मिलकर बनाएं इस प्रांगण को पवित्र - क्योंकि यहाँ हम करते हैं कार्य हृदय से, और ढालते हैं हम पवित्र ह्रदय| 

जय हिन्द |  जय सेक्रेड हार्ट| 

विश्वदीप की रचित कविता 

जो परिवार में हैं सबसे बड़े,

सबके सुःख -दुःख में हमेशा रहते हैं खड़े ll


मृदुभाषी, प्रकृति प्रेमी,सतत विकास के प्रति समर्पित हैं,

जीवन का हर क्षण जिनका बच्चों के हित में अर्पित है ll


रिड्यूस, रियूज, रिसाइकल सिद्धांतों को अपनाते हैं,

प्लास्टिक को रिफ्यूज करो, हम सबको समझाते हैं ll 


शोध और नवाचार के प्रबल समर्थक हैं,

हम सब गौरवशाली हैं, आप हम सब के अभिभावक हैं ll


'सर्वे भवन्तु सुखिनः' जिनकी चाह है,

'वसुधैव कुटुम्बकम् ' जिनकी राह है ll


बेहद विनम्र, प्रभावशाली, चित्त जिनका शांत है,

इतने गुणों से परिपूर्ण हमारे फादर प्रशान्त हैं ll


रचयिता 

विश्वदीप शुक्ला


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